अमेठी: 25 साल के बाद मुकाबले में नहीं होगा गांधी परिवार, भाजपा के संजय सिंह से सोनिया ने छीनी थी ये सीट

अमेठी: 25 साल के बाद मुकाबले में नहीं होगा गांधी परिवार, भाजपा के संजय सिंह से सोनिया ने छीनी थी ये सीट

KL Sharma Congress Candidate from Amethi: 1998 में कैप्टन सतीश शर्मा इस सीट से चुनाव लड़े थे। इसके बाद लगातार गांधी परिवार ही अमेठी से चुनाव लड़ता रहा है। 25 साल बाद ऐसा मौका होगा जब  गांधी परिवार से यहां से कांग्रेस प्रत्याशी नहीं होगा।

यूपी की हाईप्रोफाइल सीटों में शुमार अमेठी सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है। वर्ष 1999 के बाद से अमेठी के सियासी रण से गांधी परिवार हर बर मैदान में था, लेकिन 25 साल बाद ऐसा मौका होगा जब कोई गांधी परिवार से यहां से कांग्रेस प्रत्याशी नहीं होगा। दरअसल, शुक्रवार की सुबह जारी दावेदारों की सूची में अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को दावेदार बनाया गया है। इसको लेकर सियासी माहौल एक बार फिर बदल गया है। वर्ष 1999 में सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा था। बाद में सोनिया गांधी ने वर्ष 2004 में यह सीट बेटे के लिए छोड़ दी। राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में चुनाव जीत गए लेकिन, वह 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए। 1998 में इस सीट से गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव लड़े थे। उसके बाद से लगातार यह सीट गांधी परिवार के लिए आरक्षित रही है।

इस बार भी अमेठी में कांग्रेसी राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। यहां से लेकर दिल्ली तक पैरवी की गई लेकिन, शुक्रवार को जारी सूची में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा के नाम का एलान किया गया है। वैसे वर्ष 1976 में गांधी परिवार ने अमेठी में दस्तक दी थी। उस वक्त संजय गांधी ने यहां पर पहुंच कर श्रमदान करके सियासी भूमि तैयार की। हालांकि 1977 के पहले चुनाव में काग्रेंस के संजय गांधी चुनाव हार गए थे। वर्ष 1980 में वह चुनाव जीते लेकिन, उसी साल विमान हादसे में उनका निधन हो गया। इसके बाद उपचुनाव में राजीव गांधी ने राजनीतिक पारी शुरू की। इसके बाद से 1984, 1989, 1991 में राजीव गांधी लगातार जीते। यह बात अलग है कि वर्ष 1984 में राजीव गांधी का सियासी मुकाबला छोटे भाई की पत्नी मेनका गांधी से हुआ।

राजीव के सहयोगी सतीश ने संभाली थी विरासत

राजीव गांधी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में 1991 में कैप्टन सतीश शर्मा ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की। वह राजीव गांधी के करीबियों में शामिल थे। 1996 में भी वह चुनाव जीते लेकिन, 1998 में हार गए। 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने जीत दर्ज की थी।

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